Wednesday, September 15, 2010

एक टपोरी का यह सवाल (15th September 2010, 0020 Hrs)

एक टपोरी का यह सवाल
दुनिया में होता क्यों इतना बवाल
अपुन तो साला मज़ा करता है
डरा धमाका कर खाना खता है
नहीं अपुन का कोई है चिंता
मरेगा तो साला सबके जैसा है चिता
माई-बाप नहीं, घर नहीं, धंधा नहीं
पर ज़िन्दगी है एकदम बिलकुल झकास
लफड़े में पड़ना है आदत अपुन का
इसी से तो साला कमाई अपुन का
दुनिया तो देती है गाली अपुन को
अपुन पर देता है दुहाई सबिच को
एक टपोरी का यह सवाल
दुनिया में होता क्यों इतना बवाल...

सभी जगह है चोर अपुन सा
कहते मगर उसे नेता सभी का
सफ़ेद खादी पहन ले जो
बन जाता है चोर देश का वो
पहनता मगर साला माला फूलों का
खाता-खिलाता गरीबो को लूट कर वो
है अजीब साला दस्तूर पड़े-लिखों का
जो लूटे उन्हें उसीको सलाम है उनका
अपुन तो उनसे है भले बिडू
सलाम उसी को जो काम आये अपुन का
एक टपोरी का यह सवाल
दुनिया में होता क्यों इतना बवाल...


१५ सितम्बर २०१० 















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