Sunday, August 29, 2010

मुसाफिर जो हूँ... (29th August 2010, 0010 Hrs)



दोस्त बन जातें हैं 
राह पर चलते - चलते
मुसाफिर जो हूँ...
जो मिल गया उनसे दोस्ती कर ली
बिछड़ने की रीत के डर से
मैंने मंजिल को 
अपने और करीब पाया है...
मुसाफिर जो हूँ...
चलते जाना मेरा जूनून कहिये


२९ अगस्त २०१० 

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